कहानी: अजनबी की मदद**
**कहानी: अजनबी की मदद**
एक शांत सी सुबह, दिल्ली के एक छोटे से मोहल्ले में अर्जुन नामक एक युवक अपने जीवन के सबसे कठिन समय से गुजर रहा था। नौकरी की तलाश में वह कई महीनों से दर-दर भटक रहा था, लेकिन कोई सफलता नहीं मिल रही थी। पैसे खत्म हो गए थे और परिवार की जिम्मेदारियाँ बढ़ गई थीं। एक दिन उसने सोचा, “अब या तो मैं सब छोड़ दूं या कुछ बदलाव लाऊं।” उसने आख़िरकार अपने किस्मत को एक आखिरी मौका देने का फैसला किया।
अर्जुन ने सोचा कि कहीं बाहर जाकर थोड़ा वक़्त बिताना चाहिए, ताकि दिमाग़ शांत हो सके और कुछ सोचने का समय मिले। वह घर से निकल पड़ा और शहर के एक व्यस्त इलाके में, जहाँ कुछ देर पहले ही उसने एक बड़ा इंटरव्यू देने का प्रयास किया था, आकर बैठ गया। वहाँ की हलचल उसे थोड़ी राहत दे रही थी, लेकिन वह फिर भी मानसिक रूप से बहुत थका हुआ महसूस कर रहा था।
तभी, एक बूढ़ा व्यक्ति उसके पास आया। उसने नज़दीकी में बैठते हुए कहा, "बेटा, तुम परेशान लग रहे हो। क्या बात है?"
अर्जुन ने थक हार कर अपना दिल खोलते हुए उस अजनबी से कहा, "कुछ नहीं दादा, बस जिंदगी की परेशानियाँ हैं। नौकरी नहीं मिल रही, घर में भी दबाव है, अब तो समझ नहीं आता क्या करूँ।"
बूढ़ा व्यक्ति उसकी बातों को ध्यान से सुनता रहा और फिर उसने उसे एक छोटी सी सलाह दी, "तुम जिस रास्ते पर हो, वह शायद तुम्हें अभी दिखता नहीं है, लेकिन याद रखो कि हर अंधेरे के बाद एक नया सूरज आता है। कभी हार मत मानो। मैं एक जगह जानता हूँ, जहाँ तुम्हारे जैसे लड़के को अच्छा काम मिल सकता है। मेरे साथ चलो।"
अर्जुन ने पहले तो सोचा कि यह एक अजनबी है, फिर भी किसी कारणवश उसने उसकी बात मान ली और उस बुज़ुर्ग के साथ चल पड़ा। वह अजनबी उसे एक पुराने से गली में ले गया, जहाँ एक छोटा सा ऑफिस था। वहाँ कुछ लोग थे जो अलग-अलग काम कर रहे थे। बुज़ुर्ग ने अर्जुन से कहा, "यह जगह तुम्हारे लिए है, यहीं तुम्हें एक मौका मिलेगा।"
अर्जुन ने पूरी शंका के साथ वहां एक नौकरी का इंटरव्यू दिया, और कुछ ही दिन बाद उसे काम मिल गया। उसकी हालत सुधरने लगी, लेकिन उसने कभी भी उस अजनबी का नाम नहीं पूछा था। वह अक्सर सोचता था, "वह बूढ़ा व्यक्ति कौन था? वह एक अजनबी था, लेकिन उसकी मदद ने मेरी जिंदगी बदल दी।"
कुछ महीने बाद, अर्जुन उसी गली से गुजर रहा था, जहाँ वह बुज़ुर्ग उसे लाया था। वह वहीं पर खड़ा हो गया और सोचने लगा, "कहाँ होगा वह अजनबी?" तभी उसकी नज़र एक क्यूआर कोड पर पड़ी जो एक दीवार पर चिपका हुआ था। उसने मोबाइल से उस क्यूआर कोड को स्कैन किया और जो संदेश सामने आया, वह अर्जुन को चौंका देने वाला था।
"मैं वह व्यक्ति हूँ, जिसने तुम्हारी मदद की थी। मेरा नाम अनिल है, और मैं एक चैरिटी संस्था से जुड़ा हूँ। हमारी संस्था हर साल कुछ युवाओं को काम और दिशा देने में मदद करती है। अब तुम ठीक हो, तुम्हारी कहानी से हमें प्रेरणा मिली है।"
अर्जुन ने समझा कि वह अजनबी, जिसका वह कभी नाम नहीं जान सका, असल में उसके जीवन में एक मार्गदर्शक था। वह एक अनदेखी शक्ति का हिस्सा था जो उसे सही दिशा में ले आया।
आज अर्जुन खुद भी उसी संस्था का हिस्सा बन चुका है, जो उसे एक नया जीवन देने में मदद करती थी। वह जानता था कि कभी-कभी अजनबियों की मदद, उनके बिना कहे इरादों में ही एक नया रास्ता छुपा होता है।
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